हरबोला वसदेवा जाति का एक प्रकार है, जो मथुरा वृंदावन, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, लखनऊ, झाँसी, बैतूल, और अन्य क्षेत्रों में निवास करती है। ये लोग संस्कृति के उदात्त चरित्र को असाक्षर जनता में जीवित रखने का कार्य करते हैं।
1.परिचय
- हरबोला, एक लोकगाथा गायक जाति है, जो कई स्रोतों से उद्गमित है।
- इनका पूरा परिचय केवल एक पहचान में नहीं दिया जा सकता, क्योंकि इनका व्यावसायिक और सामाजिक जीवन विविधता से भरा हुआ है।
अहीर के रूप में पहचान:
- हरबोला खुद को अहीर के रूप में पेश करते हैं, गाथा गायन और भिक्षाटन के अलावा इनका पशुपालन का काम भी होता है।
- अहीर व्यक्ति अपने आप को अहीर मानते हैं, लेकिन ब्राह्मण समाज में इनका उल्लेख नहीं होता।
3. व्यापार और जीवनशैली:
- इन लोगों ने “छिन्द” नामक खजूर प्रजाति के वृक्ष की पत्तियों से सुंदर टोकरियाँ बनाकर, मांग और बंसोड़ जाति का काम भी किया है।
- हरबोला लोग घर होकर भी अधिकांश दिन घुमक्कड़ी करते हैं।
धार्मिक महत्व:
- हरबोला धर्म कथाओं के गायन करने के कारण अपने को वसुदेवा पंडित भी मानते हैं, पर ब्राह्मणों की दुनिया में इनका उल्लेख नहीं होता।
4. विविध कौशल:
- ये लोग ऐतिहासिक गाथाएं गाते हैं और चारण और भाट का काम भी करते हैं।
- आशु कवित्व भी इनकी विशिष्टता है।
5. अन्य परंपराओं का प्रभाव:
- इन पर हिन्दू, बौद्ध, और सूफी परंपराओं का प्रभाव दिखाई देता है।
- हरबोला भिखमंगों जैसे नियमहीन नहीं होते, पर भिक्षावृत्ति ही इनकी आजीविका है।
6. सांस्कृतिक और आध्यात्मिक समन्वय:
- इनका जीवन सांस्कृति और जीवन की एक रूप में साझा है।
- हिन्दू धर्म के अलावा बौद्ध और सूफी परंपराओं का भी प्रभाव दिखाई देता है।
7. "हरबोला" शब्द का उत्पत्ति:
- “हरबोला” शब्द के विषय में कुछ बताया नहीं गया है, लेकिन मध्ययुग के हिन्दू योद्धा या सैनिक की संज्ञा के रूप में माना गया है।
- “हर” का अर्थ शिव या महादेव है, इस प्रकार “शिव के बोल” को “हरबोला” माना गया है।
हरबोलों के बारे मे भी बहुत सी बाते -
हरबोलों की भूमिका:
- इतिहासकार और साहित्यकारों ने जिन चीजों को उपेक्षित किया, उन कथानकों को हरबोलों ने बचा लिया है।
- हरबोले फुटकर गीतों में राजाओं की प्रशंसा और लोकरंजन का विरोध है।
गाथाओं का विषय:
- इन गाथाओं में प्रजा की पीड़ा, जनआकांक्षा, और संघर्ष को अभिव्यक्ति मिलती है।
- जननायकों की वंदना इनका मुख्य कथानक है।
इतिहासी उदाहरण:
- झाँसी की रानी, नरसिंहगढ़ के राजा चैनसिंह, मालव नरेश यशवंतराव होलकर, और जननायक टंटया भील की गाथा हरबोलों द्वारा गाई गई हैं।
- इन गाथाओं में इतिहास की प्रामाणिकता भी होती है।
आशु गीत और फुटकर गान:
- फुटकर गीत आशु गीत होते हैं, जो इन्हें आशु कवि बनाता है।
- इन गीतों में व्यंग्य, उलाहना, और मूल्यहीनता का विरोध होता है।
भिक्षावृत्ति का स्वरूप:
- भारत में कई जातियाँ भैक्षचर्या पर निर्भर हैं।
- भिक्षा एक समय में ऋषि मुनियों की आजीविका का माध्यम थी और इससे वे अपने आदर्शों का प्रचार प्रसार करते थे।
लोकरंजन, लोकोत्साह, और लोककल्याण का कार्य:
- ये लोग संस्कृति के उदात्त चरित्र को असाक्षर जनता में जीवित रखने का कार्य करते हैं।
- वे गाँव-गाँव और द्वार-द्वार जाकर चरित्र नायकों को ले जाते हैं, जो मंदिर नहीं जाते और पुराणों में नहीं बैठते।
हरबोलों का परिचय:
- हरबोला वसदेवा जाति का एक प्रकार है, जो मथुरा वृंदावन, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, लखनऊ, झाँसी, बैतूल, और अन्य क्षेत्रों में निवास करती है।
भिक्षावृत्ति की परंपरा:
- हरबोलों की भिक्षा माँगने और कथागायन की परंपरा है, जो गाँव के पास पेड़ के नीचे होती है।
- गीत गाकर, धर्मिक चरित्रों की श्रद्धांजलि देते हैं और दान-दक्षिणा लेते हैं।
फकीरों का प्रभाव:
- इस परंपरा के पीछे फकीरों का प्रभाव है, जो चुपचाप गाँवों में चक्कर लगाते हैं और सवाल पूछकर दान प्रदान का सौदा करते हैं।
हरबोलों का उतार-चढ़ाव:
- हरबोला पेड़ पर चढ़ता है और गाँववासियों से उताराने से पहले सवाल पूछता है, जो उसकी इच्छा का प्रतीक होता है।
- सौदा होने पर हरबोला पेड़ से नीचे उतर जाता है।
हरबोलों के बारे मे ये किसी को नहीं पता है -
भिक्षाटन की मान्यता और आदतें:
- हरबोलों में सूर्योदय के पश्चात भिक्षाटन करना अशुभ माना जाता है।
- मथुरा वृंदावन क्षेत्र में वे वासुदेव का बाना धारण कर गाँवों में गीत गाते हैं, जो लोग सुनकर सूप और आसान भेंट करते हैं।
राज्यों और क्षेत्रों के अनुसार विवेचन:
- महाराष्ट्र में हरबोला राजा हरिचंद्र की कथा गाते हैं।
- मध्यप्रदेश के मालवांचल में प्रमुख व्यक्तियों के नाम लेकर गाँव के लोगों से सौदा करते हैं।
- राजस्थान में उन्हें दोहे और साखिया गाने के लिए भगाया जाता है।
- गुजरात में राजा हरिचंद्र की कथा गाई जाती है, और गाँव के विशेष राजा के खिलाफ संबंधित होती है।
सामाजिक समस्याएं:
- हरबोलों की जाति में शिक्षा की दर कम है और महिलाएं शिक्षित नहीं होतीं हैं।
- युवा हरबोलों को विद्या में अवकाश नहीं होता, और उन्हें आर्थिक समस्याएं भी देखनी पड़ती हैं।
समृद्धि की ओर प्रयास:
- हरबोलों में आर्थिक उन्नति और सम्मानपूर्ण जीवन की इच्छा है, लेकिन ये चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।
- नई पीढ़ी में शिक्षा की कमी का सामना कर रही है और उन्हें आधुनिक जीवनशैली की अनुसंधान करनी हो रही है।
सांस्कृतिक परिवर्तन:
- हरबोलों की गायन और भिक्षाटन की परंपरा वक्त के साथ बदल रही है।
- आज वे रेलों, बसों, बाजारों में फिल्मी गीतों को जोड़कर गाते हैं, और युवा पीढ़ी उन्हें सुनती है।
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